जिस प्रकार बलिदान का बकरा कटार के तले तड़पता है उसी प्रकार कोने में खड़े हुए कमला का कलेजा धज्ञड़क रहा था।
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जिस प्रकार बलिदान का बकरा कटार के तले तड़पता है उसी प्रकार कोने में खड़े हुए कमला का कलेजा धज्ञड़क रहा था।
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233. ' जब एक ही गली मेरे इतने वीर सैनिकों को निगल गई और दिल्ली पर अधिकार कर लेने की मेरी आकांक्षा भी अतृप्त ही है, साथ ही सहस्रों क्रान्तिकारी अभी भी युद्घ का आह्वान कर रहे हैं तो अब अपने सभी सैनिकों को बलिदान का बकरा बनाकर चढ़ा देने की अपेक्षा तो पराजय और (३ ६) (३ ७) अपयश का कलंक लगवाकर लौट जाना ही अधिक उचित है।